माँझी नैया ढूँढे किनारा
किसी ना किसी की खोज में है ये जग सारा
माँझी नैया ढूँढे किनारा
कभी ना कभी तो समझोगे तुम ये इशारा
ऐसी कोई मौज नहीं, जिसको कोई खोज नहीं
कोई ना कोई तो हर किसी को लगता है प्यारा
जीवनपथ पर चलते हुये, एक दिन थककर चलते हुये
कही ना कही मैं थाम लूँगा आँचल तुम्हारा
जैसे सीता राम मिले, जैसे राधा श्याम मिले
कभी ना कभी तो मिलन होगा तुमसे हमारा