लाल छड़ी मैदान खड़ी
क्या खूब लड़ी, क्या खूब लड़ी
हम दिल से गए, हम जां से गए
बस आँख मिली और बात बढ़ी
वो तीखे तीखे दो नैना
उस शोख से आँख मिलाना था
देनी थी क़यामत को दावत
इक आफत से टकराना था
मत पूछो हमपर क्या गुजरी
बिजली सी गिरी और दिल पे पड़ी
हम दिल से गए, हम जां से गए
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी ...
हम को भी ना जाने का सूझी
जा पँहुचे उसकी टोली में
हर बात में उसकी था वो असर
जो नहीं बंदुक की गोली में
अब क्या कीजे, अब क्या होगा
हर घडी मुश्किल की घडी
हम दिल से गए, हम जां से गए
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी ...
तन तनकर ज़ालिम ने अपना
हर तीर निशाने पर मारा
है शुक्र के अब तक जिंदा हूँ
मैं दिल का घायल बेचारा
उस देखके लाल दुपट्टे में
मैंने नाम दिया है लाल छड़ी
हम दिल से गए, हम जां से गए
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी ...