और फिर यूँ हुआ
रात एक ख्वाब ने जगा दिया
फिर यूँ हुआ, चाँद की वो डली खुल गयी
और यूँ हुआ, ख्वाब की वो लड़ी खुल गयी
चलती रही बेनुरिया
जलते रहे अंधेरों की रोशनी के तले
फिर नही सो सके, एक सदी के लिये, हम दिलजले
और फिर यूँ हुआ, सुबह की धूल ने उड़ा दिया
फिर यूँ हुआ, चहेरे के नक्श सब धूल गये
और यूँ हुआ, गर्द थे गर्द में रूल गये
तनहाईयाँ ओढ़े हुये, गलते रहे भीगे हुये, आँसुओ से गले
फिर नही सो सके, एक सदी के लिये, हम दिलजले