वो हैं ज़रा खफा खफा
तो नैन यूँ चुराये हैं के हो, हो, हो ...
ना बोल दू तो क्या करू
वो हँस के यूँ बुलाये हैं के हो, हो, हो ...
हँस रही है चाँदनी
मचल के रो ना दूँ कही
ऐसे कोई रुठता नहीं
यह तेरा ख़याल है
करीब आ मेरे हँसी
मुझको तुझसे कुछ गिला नहीं
बातें यूँ बनाये हैं के हो, हो, हो ...
न बोल दूँ तो क्या करूँ
वो हँस के यूँ बुलाये हैं के हो, हो, हो ...
फूल को महेक मिले
यह रात रंग में ढले
मुझपे तेरी जुल्फ गर खुले
तुम ही मेरे संग हो
गगन के छाँव के तले
यह रुत यूँही भोर तक चले
प्यार यूँ जताये हैं के हो, हो, हो ...
न बोल दूँ तो क्या करूँ
वो हँस के यूँ बुलाये हैं के हो, हो, हो ...
ऐसे मत सताईये
ज़रा तरस तो खाईये
दिल की धड़कन मत जगाईये
कुछ नहीं कहूँगा मैं
ना अंखड़ियाँ झुकाईये
सर को काँधे से उठाईये
ऐसे नींद आये है के हो, हो, हो ...
वो हैं ज़रा खफा खफा ...