Title (Indic)आज किसी के हाथों ने दिल के WorkSavdhan Year1954 LanguageHindi LyricsHindiआज किसी के हाथों ने दिल के तारों को छेड़ दिया गहरी नींद में सोये साज़ की झंकारों को छेड़ दिया आज मेरी तनहाई अपने आपसे भी शरमाने लगी दिल की धड़कन नगमा बनकर होठोंपर लहराने लगी जो साहिल को साथ बहा ले उन धारों को छेड़ दिया हर झोंके से मुझको उनके सांस की खुशबू आती है तन मन में एक ठंडी ठंडी आग बिखरती जाती है जाने किसकी शोख नज़र ने अंगारों को छेड़ दिया