आ जाओ के सब मिलके रब से दुआ माँगे
जीवन में सुकूँ चाहे, चाहत में वफ़ा माँगे
हालात बदलने में अब देर न हो मालिक
जो देख चुके फिर ये अंधेर न हो मालिक
एक तू ही भरोसा, एक तू ही सहारा
इस तेरे जहां में नहीं कोई हमारा
हे ईश्वर, या अल्ला, ये पुकार सुन ले
हे ईश्वर, या अल्ला, हे दाता
हमसे न देखा जाए बर्बादियों का समा
उजड़ी हुई बस्ती में ये तड़प रहें इन्सां
नन्हें जिस्मों के टुकड़े लिए खड़ी एक माँ
बारूद के धुए तू ही बोल जाए कहाँ
नादां हैं हम तो मालिक क्यों दी हमें सज़ा
क्या है सभी के दिल में नफरत का ज़हर भरा
इन्हें फिर से याद दिला दे सबक वही प्यार का
बन जाए गुलशन फिर से काँटों भरी दुनिया