ननद: सिस्तेर ओफ़ हुस्बन्द
झूलना डला दे
मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी
सावन की रुत आई
झूलना डला दे
मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी
सावन की रुत आई
लो जल बरसाने आईं घटायें काली -2
तुम झूठी बोलीं, ऐसे में तो बोलूँ ??
ओ अरी ओ री ननन्दिया -2
मेरा बिखरा-बिखरा बाग, नहीं घर माली
बिरहन देती दुहाई
( झूलना डला दे
मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी
सावन की रुत आई ) -2
( बेदर्दों से प्रीत लगा के
मैं पछताई हो मैं पछताई ) -2
( दिन ने चैन गँवाया
आँख ने निंदिया गँवाई, हा निंदिया गँवाई ) -2
ओ अरे अरे ननदिया -2
इक बार उन्हें मिला दे भला हो तेरा
निन-नित तुम्हें मिले न दोया मेरा -2 ??
( झूलना डला दे
मोरे सैयाँ को बुला दे, ओ ननद जी
सावन की रुत आई ) -2