और आहिस्ता कीजिये बातें
धड़कनें कोई सुन रहा होगा
लब्ज़ गिरने ना पाये होंठों से
वक़्त के हाथ इनको चुन लेंगे
कान रखते हैं यह दरों-दीवार
राज की सारी बात सुन लेंगे
और आहिस्ता कीजिये बातें
ऐसे बोलो के दिल का अफ़साना
दिल सुने और निगाह दोहराये
अपने चारों तरफ की यह दुनियाँ
साँस का शोर भी ना सुन पाये, ना सुन पाये
आईये बंद कर ले दरवाजे
रात सपने चुरा ना ले जाये
कोई झोंका हवा का आवारा
दिल की बातों को उड़ा ना ले जाये , ना ले जाये
आज इतने करीब आ जाओ
दूरियों का कहीं निशान ना रहें
ऐसे एक दूसरे में गुम हो जायें
फासला कोई दरमियाँ ना रह जाये , ना रह जाये