कैसी तेरी खुदगर्ज़ी ना धूप चुने ना छाँव
कैसी तेरी खुदगर्ज़ी किसी ठौर टिके ना पाँव
बन लिया अपना पैगम्बर
तर लिया तू सात समंदर
फिर भी सूखा मन के अंदर
क्यों रहेगा
रे कबीरा मान जा, रे फकीरा मान जा
आजा तुझको पुकारे तेरी परछाइयाँ
रे कबीरा मान जा, रे फकीरा मान जा
ऐसा तू है निरमोही कैसा हरजाईया
टूटी चारपाई वही ठंडी पुरवाई रस्ता देखे
दूधों की मलाई वही मिट्टी की सुराही रस्ता देखे
कैसी तेरी खुदगर्ज़ी लब नमक रमे ना मिसरी
कैसी तेरी खुदगर्ज़ी तुझे प्रीत पुरानी बिसरी
मस्त मौला मस्त कलंदर तू हवा का एक बवंडर
बुझ के यूँ अंदर ही अंदर क्यों रहेगा
रे कबीरा मान जा रे फकीरा मान जा
आजा तुझको पुकारे तेरी परछाइयाँ
रे कबीरा मान जा रे फकीरा मान जा
कैसा तू है निरमोही कैसा हरजाईया