दिन गुज़र गया ऐतबार में
रात कट गई इंतज़ार में
वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में
उनकी एक नज़र काम कर गई
होश अब कहाँ होशियार में
मेंरे कब्ज़े में कायनात है
मैं हूँ आपके इख़्तियार में
आँख तो उठी फूल की तरफ
दिल उलझ गया हुस्न-ए-खार में
तुझसे क्या कहें कितने ग़म सहे
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में
फ़िक्र-ए-आशियां हर खिज़ा में की
आशियां जला हर बहार में
किस तरह ये ग़म भूल जाएँ हम
वो जुदा हुआ इस बहार में