मुझे छोड़ दो मेरे हाल पे
जिंदा हूँ यार, काफी है
हवाओं से जो माँगा हिस्सा मेरा
तो बदले में हवा ने सांस दी
अकेलेपन से छेड़ी जब गुफ्तगू
मेरे दिल ने आवाज़ दी
मेरे हाथों, हुआ जो किस्सा शुरू
उसे पूरा तो करना है मुझे
कब्र पर मेरे सर उठा के खड़ी हो ज़िन्दगी
ऐसे मरना है मुझे
कुछ माँगना बाक़ी नहीं
जितना मिला काफी है
जिंदा हूँ यार, काफी है