मैने तुमसे कुछ नही माँगा
आज दे दो, आज दे दो
सौ बरस से जगे इन नैनो को
नींद का वरदान दे दो, दे दो
घेरती खुशबुयें , फिर वही आहटे
बार बार चौकना, फिर वही करवटे
वही बाहों के घेरो में बंधना
वही नज़रो के साये में तपना
कब तलक़ डोर खिचेगी मुझको
छोड़ दो, मेरा अभिमान दे दो, दे दो
इन अंधेरों से जुझुंगा कैसे
किस तरह रोशनी इतनी मैं झेलूँ
यादों की भीड़ टकरा रही यूँ
हाथ बाँधे हुये चूर हो लूँ
झटपटाते हृदय को दया कर
साँस लेने का अधिकार दे दो, दे दो