हर चेहरा यहाँ चाँद, तो हर ज़र्रा सितारा
ये वादी-ए-कश्मीर है ज़न्नत का नज़ारा
हँसती हैं जो कलियाँ तो हसीन फूल हैं खिलते
हैं लोग यहाँ जैसे उतर आये है फ़रिश्ते
हर दिल से निकलती है यहाँ प्यार की धारा
दिन रात हवा साज़ बजाती है सुहाने
नदियों के लबोंपर हैं मोहब्बत के तराने
मस्ती में है डूबा हुआ बेहोश किनारा
ये जलवा-ए-रंगीं है ख़्वाब की ताबीर
या फूलों में बैठी हुई दुल्हन की है तस्वीर
या थम गया चलता हुआ परियों का शिकारा