Title (Indic)रात भरका है मेहमां अंधेरा Year1958 LanguageHindi LyricsHindiमौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल ना मिलेगा मरनेवाले सोच समझ ले फिर तुझको ये पल ना मिलेगा रात भरका है मेहमां अंधेरा किसके रोके रूका है सवेरा रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म ना कर गर है बादल घनेरा लब पे शिकवा ना ला अश्क पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले अब उखड़ने को है ग़म का डेरा आ कोई मिलके तदबीर सोचे सुख के सपनोंकी ताबीर सोचे जो तेरा है वोही ग़म है मेरा